तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 28
कहानी _**तिलस्मी किले का रहस्य**
भाग _ 28
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
एसपी साहब ने रास्ते में गृह मंत्रालय ,वित्त विभाग और डिप्टी कलेक्टर को फोन कर अब तक की हुई घटना और किले के तहखाने में मिले अपार खजाना के बारे मे बताते हुए कहा _ उस खजाने की सुरक्षा तो अभी बढ़ा दिया गया लेकिन ज्यादा दिन उसकी सुरक्षा नही की जा सकेगी।इसलिए उसे तुरंत आरबीआई को सूचित कर भारत सरकार को सौप देना होगा।
डीजीपी ने कहा ठीक है तुम उधर सब संभालो मैं सबसे बात करता हूं।ठीक है सर ।
एसपी साहब ने होटल के सुरंग के द्वार पर सुरक्षा के लिए जवानों को लगा दिया।
एसपी साहब जैसे ही अस्पताल पहुंचे पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया।वे उनके सवालों का जवाब देने के बाद खजाने के सवाल के जवाब को टाल गए और बोले पता नही खजाने के बारे में प्रताप ने क्यों अफवाह फैला दिया था जिसके चलते इतने लोग आपस में भिड़ गए ,पुलिस से मुठभेड़ हो गई और इतने लोग मारे गए और घायल हुए।
प्रताप और सुरभी का अपहरण किया गया।सुरभी पर जानलेवा हमला किया गया।प्रताप को दुबारा अगवा किया गया।
एक पत्रकार ने कहा _ लेकिन अफवाह फैलाने में प्रताप को क्या फायदा हुआ सर। इससे तो उल्टे उसी की जान आफत में आ गई थी।
वही तो मेरी समझ में नही आ रहा है।देखिए ने अभी सुरंग में वापस आते समय फिर सुरभी और प्रताप दोनो गायब हो गए।उनकी तलाश में मैने अपनें एक इंस्पेक्टर और जवानों को लगा दिया है।उन दोनो के मिलने पर उनसे अफवाह फैलाने के बारे में कड़ाई से पूछताछ की जायेगी।
एसपी साहब ने जवाब दिया।इसके बाद उन्होंने सारे घायल अपराधियो के इलाज का जायजा लिया और लाशों को पोस्टमार्टम करने का आदेश दे दिया।
उन्होंने घायल अपराधियो के इलाज के बाद कोर्ट में हाजिर कर एक सप्ताह के लिए पूछताछ हेतु पुलिस कस्टडी में रखने के अपने एक डीएसपी को सारी तैयारियां करने को कहा और फिर वापस किला की तरफ लौट आए ।उन्हे प्रताप और सुरभी की काफी चिंता हो रही थी।
किला में पहुंचते ही वहा प्रताप के माता पिता रोते हुए मिले और एसपी साहब से हाथ जोड़कर बोले _ साहब मेरा बेटा परीक्षा देने आया था और देखिए किस मुसीबत में फंस गया है।उसे ढूंढकर जल्दी लाइए साहब हमलोग उसे लेकर घर चले जायेंगे।
देखिए आप लोग चिंता मत कीजिए ।पुलिस उनकी तलाश कर रही है।नौकरी से जितना वो जिंदगी भर नही कमाएगा अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो उसे भारत सरकार द्वारा इतने पैसे मिलेंगे की जिंदगी भर बैठकर भी खायेगा खत्म नही होगा ।आप लोगो का सारा दुख दूर हो जायेगा ।क्योंकि उसने बहुत बड़ा काम किया है।एसपी साहब ने उन्हें संतावना देते हुए कहा
धन मिले ना मिले साहब बस हमे हमारा बेटा दे दीजिए । प्रताप के पिता ने कहा।
आप लोगो को मेरा सिपाही होटल में ठहरा देगा और खाने पीने का इंतजाम भी करवा देगा ।आप लोग वही ठहरे जब तक आपका बेटा नही मिल जाता है।
प्रताप और सुरभी सुरंग में पुलिस के पीछे पीछे चले आ रहे थे तभी तहखाने में पहुंचते ही अचानक दीवाल से एक दरवाजा खुला और दो हाथो ने दोनो को अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद हो गया।
यह सब इतनी जल्दी और शांति से हुआ को पुलिस दल और आगे आगे चल रहे एसपी साहब और सुरभी के पिता और बाकी लोगों को भनक तक नहीं लगी।
अंदर दो नकाब पॉश थे उनके हाथो में रिवाल्वर थी।एक ने कहा _ तुम दोनो चुपचाप हम दोनो को खजाना के तहखाना तक ले चलो वरना जान से मारे जाओगे।अगर रजामंदी से गए तो तुम्हे भी हिस्सा मिलेगा अगर जोर जबरजस्ती से ले जाना पड़ा तो कुछ नही मिलेगा।
प्रताप ने कहा _ भले ही हमारी जान चली जाए हम तुम दोनो को खजाना तक नही ले जायेंगे।
तब ठीक है तुम दोनो मरने के लिए तैयार रहो इतना कहकर उन दोनो ने दोनो पर अपनी रिवाल्वर तान दिया।
इतने में गुर्राता हुआ भेड़िया अचानक उन दोनो नकाबपोशो पर छलांग लगा दिया प्रताप को मौका मिला और उसने एक के हाथ से रिवाल्वर छीन लिया।सुरभी ने भी वही किया।दोनो ने दोनो के पैरो में गोलियां चला दिया।दोनो दर्द से चीख पड़े।
प्रताप ने भेड़िया को उन दोनो को छोड़ने के लिए कहा।भेड़िया ने दोनो को छोड़ दिया।
दोनो को विश्वाश ही नही हो रहा था को भेड़िया अचानक उन पर हमला कर देगा।
प्रताप ने उन दोनो से पूछा _ तुम दोनो भागना चाहते हो या पुलिस के द्वारा गिरफ्तार होना पसंद करोगे।
नही हमे गिरफ्तार नही होना है हम भाग जायेंगे।उन दोनो ने कहा ।
ठीक है भाग जाओ अब दुबारा लौट कर इधर खजाने की लालच में मत आना वरना दुबारा लौटकर यहां से वापस नही जा पाओगे अब भागो।
प्रताप ने गुस्से से उन्हे डांटते हुए कहा।
वे दोनो लगड़ाते हुए एक सुरंग के अंदर चले गए और आंखो से ओझल हो गए।
प्रताप ने सुरभी से पूछा तुम्हे ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है।
दर्द तो कम है लेकिन बहुत जोर से भूख लग रही है सुरभी ने अपने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा । उसकी इस हरकत पर प्रताप जोर जोर से हंसने लगा।और कहा ठीक है आओ चलो रानी के तालाब के पास चलते है जहा पहली बार गए थे।मैंने वहा कई फलदार पेड़ देखे थे।इसके बाद वो दोनो सीढ़िया चलते हुए ऊपर जाने लगे।तालाब के रास्ते जाते समय उन्हे एक दूसरा दरवाजा दिखा ।सुरभी ने कहा इस दरवाजे के पीछे क्या होगा चलो देखते है।
लेकिन ये खुलेगा कैसे प्रताप ने गंभीर होकर कहा।
तुम तो तिलस्म के मास्टर हो गए हो दिमाग लगाओ और खोलो दरवाजा।सुरभी ने मुस्कुराते हुए कहा।
प्रताप ने देखा दरवाजे के दोनो तरफ दो हंसो की मूर्तियां बनी हुई थी।उसने उन्हे हिलाया डुलाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला।वो अपना सर खुजाने लगा।तभी उसकी नजर दरवाजे के दाहिने तरफ एक औरत की तस्वीर पर गई। चित्र में उसके उसके हाथ के बीचों बीच एक बिंदी जैसा बना हुआ था जो ऊंचा उभरा हुआ था।उसने उस बिंदी को ज़ोर से दबाया।दरवाजा कर कर करता हुआ खुल गया।
वो खुशी से उछल गया।सुरभी ने कहा वाह वाह बहुत खूब। मान गए तुमको तुम सच में बड़े ब्रिलियंट हो।
मेरी तारीफ मत करो चलो आओ देखते है इसके अंदर क्या है।
दोनो ने जैसे ही दरवाजे के अंदर प्रवेश किया ।हल्की रोशनी के साथ ठंडी हवा का झोंका आया ।दोनो उधर बढ़ गए।उनके पीछे भेड़िया भी था।
कुछ दूर चलने के बाद दोनो एक बड़े से महल में पहुंच गए ।जिसमे चारो तरजी फ शीशे लगे हुए ।जैसे ही दोनो महल से होते हुए बाहर आए उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।उस महल के चारो तरफ पानी ही पानी भरा हुआ था।मतलब यह महल एक बहुत बड़े तालाब के बीचों बीच बना हुआ था।
तालाब के किनारे बड़ा सा बगीचा बना हुआ था।पेड़ो पर बहुत सारे फल लगे हुए थे। तालाब के किनारे फूलो की कियारिया बनी हुई थी लेकिन अभीटी उसमे कोई फूल नहीं था।
महल से बगीचे तक जाने के लिगएए एक पुल बना हुआ था।बगीचे में जगह जगह पत्थरों की कुर्सियां बनी हुई थी।मेटे ख्याल से यह राजा और रानी के लिए घूमने के लिए और एकांतवास के लिए महल बनाया गया होगा।
प्रताप ने कहा।
भूख बढ़ती जा रही है।सुरभी ने कहा।
थोड़ा सब्र करो भूखड़ लड़की ।प्रताप ने हंसते हुए कहा।
फिर दोनो उस पुल से होते हुए बगीचे में आ गए।प्रताप ने कहा _ तुम यहां पत्थरों की कुर्सियों पर बैठो मैं फल तोड़कर लाता हूं।
प्रताप एक पेड़ पर चढ़ गया।
नीचे भेड़िया खड़ा होकर उसे देख रहा था।
काफी फल उसने तोड़ दिया।फल खाकर सुरभी ने डकार लिया और कहा थैंक यू।
अब मुझे नींद आ रही है। ठीक है आइए रानी साहिबा आपको महल ले चलता हूं आप वही आराम फरमाए।सुरभी हसने लगी।तभी भेड़िया उसके पैरो में लोटने लगा।
क्या हुआ तुमको दोस्त प्रताप ने भेड़िया से पूछा ।
शायद उसे भी भूख लगी हो ।सुरभी ने कहा।
प्रताप ने एक लकड़ी उठाया और पत्थर से उसको नुकीला किया और कहा चलो देखते हैं तालाब में मछली है या नही।
महल में आकर उसने पत्थर के बने हुए पलंग पर सुरभी को बिठाया और कहा तुम यहां आराम करो मैं अपने दोस्त के लिए मछली पकड़ कर लाता हूं।अभी तो इस पर गद्दा नही है।अभी पत्थर पर आराम करो।
इतना कहकर वो तालाब के किनारे गया वहा सीढ़िया बनी हुई थी।संयोग से तालाब में मछलियां मिल गई।उसने कुछ मछलियां पकड़ा और भेड़िया को दे दिया वो खाने लगा।
फिर वो सुरभी के पास पहुंचा।वो सो रही थी ।उसके बाल बिखरे हुए थे । निंद में वो बहुत सुंदर लग रही थी।प्रताप को उसपर बहुत प्यार आ रहा था।
वो उसके बगल में आकर बैठ गया और उसके सुंदर मुख को निहारने लगा।इससे पहले उसने उसकी खूबसूरती पर ध्यान ही नही दिया।
उसका दिल चाह रहा था वो उसके गालों को चूम ले ।ऐसा सोचते हुए वो उसके और करीब होता चला गया इतना करीब की उसकी सांसे सुरभी की सांसों से टकराने लगी।तभी सुरभी ने अपनी आंखे खोल दी।
अरे तुम क्या करने जा रहे थे उसने पूछा ।कुछ नही बस तुम्हारी खुबसूरती को करीब से निहार रहा था।प्रताप ने मुस्कुराते हुए कहा।
ओह अच्छा आज अचानक मेरी खूबसूरती पर तुम्हारी बुरी नजर हो गई है। चलो दूर हटो बेइमान कही के ।सुरभी ने उसे एक हाथ से धक्का देते हुए कहा।
लेकिन प्रताप ने उसे अपनी बाहों में भर लिया।सुरभी को उसकी बाहों में काफी सकून मिला ।उसने खुद को ढीला छोड़ दिया।भेड़िया नीचे जमीन पर बैठा उन दोनो को निहार रहा था।तभी बाहर कई कदमों की आहट सुनाई दी।
दोनो हड़बड़ा कर उठ बैठे।थोड़ी ही देर में सुरभी के पिता और इंस्पेक्टर के साथ कई पुलिस के जवान थे जो दोनो को तलाश करते हुए यहां तक पहुंचे थे।
सुरभी के पिता ने दूर से ही दोनो को आपस में प्यार करते हुए देख लिया था।उन्होंने मन में सोचा दोनो में बहुत प्यार है । यहां से जाने के बाद दोनो की शादी करवा दूंगा।
इंस्पेक्टर के साथ वे दोनो नकाबपोश भी थे।इंस्पेक्टर ने कहा ये दोनो रास्ते में मिले थे घायल अवस्था में।इन्ही दोनो ने तुम दोनो के बारे में बताया।
सीढ़ियों पर इस महल तक आने का रास्ता खुला हुआ था इसलिए इधर आ गए।बहुत सुंदर महल और दृश्य है यहां का।
इन्ही दोनो ने हम दोनो का अपहरण करने का प्रयास किया था।प्रताप ने कहा ।
हमे पता चला इन दोनो ने बताया।सुरभी के पिता ने कहा।
अब चलो बेटी यहां से तुम्हे गोली भी लगी है तुम्हे आराम की जरूरत भी है।
सब लोग वहा से निकल गए ।सुरभी ने एक हाथ से प्रताप का हाथ पकड़ रखा था।
पुलिस की पूछताछ में दोनो नकाब पोश जो साधुओं के संग पकड़े गए थे।वो होटल का मालिक निकला था ।दोनो भाई ही थे।उनके पिता राजा के सेनापती थे जिनको उस खजाने के बारे में खबर थी।दोनो ने अपने पिता से सुना था।होटल का भवन किला का ही हिस्सा था जिसे राजा ने सेनापती को रहने के लिए दिया था।इसलिए एक सुरंग होटल तक जाती थी।बाद में अपने भवन को सेनापति के बेटो ने होटल बना दिया।बाकी बदमाश नामी गिरामी गुंडे थे जो खजाने की लालच में सुरंग के रास्ते तहखाने में गए थे।
बाकी बदमाशो को अधिक हिस्सा की लालच में उस वृद्ध साधु ने सबको खजाने के बारे में बताया था।
परीक्षा का परिणाम निकल चुका था दोनो पास कर गए थे ।
सरकार ने प्रताप और सुरभी को खजाने को बचाने और ढूढने में मदद करने हेतु पचास पचास करोड़ रुपए इनाम में दिए।
सुरभी के पिता ने कुछ दिनों बाद दोनो का विवाह करा दिया।
-:समाप्त :-
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड
मॉब.9955509286
Sushi saxena
14-Feb-2024 06:22 PM
Nice one
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Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 01:23 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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नंदिता राय
12-Feb-2024 04:50 PM
Nice story
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